ये हमारी माता हे इसे हम माँ कहकर पुकारते है इसे पूजते इसमें 33 करोड़ देवी -देवता रहते है ,परन्तु हमारी ये माँ आज दर दर कि ठोकरे खाती हे इसे चारा - पानी नही मीलता हे और इससे भी दुःख भरी बात तो यह हे कि इसे कत्लखानो में काट दिया जाता और इस माँ के मांस को हम मानव बड़े शौक से खाते हे और हमारी रोज काम आनेवाली कई वस्तुओ में इस के मांस को मिलादिया जाता हे फिर हम किस हक़ से इसे माँ कहते। अरे जब हम इसे माँ कहते हे तो अपना फर्ज भी पूरा करे। मुस्कान संस्थान तो अपना कर्तव्य निभा रही हे। तो दोस्तों क्यों न आप भी मुस्कान संस्थान के साथ होजाये और कर्तव्य निभाये और मुस्कान संस्थान द्वारा संचालित कि जाने वाली गोशाला में आपअपना सहयोग प्रधान करे येही हमरी इसे माँ के प्रति सच्ची सेवा होगी गोशाला में इस माँ को रहने खाने -पीने की सभी सुवीधा होगी व माँ की हत्या का महा पाप भी न लगेगा
माँ शब्द का सही मायने में हम अर्थ नही लगा सकते,हम तो सिर्फ सेवा ही कर सकते हे
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