" सुगन्ध भी दी काटे भी दिये ग़ुलाब को ,
आज तक नही समझ पाया जिन्दगी के इस बे हिसाब को "
आज तक में भी दुनिया के इस हिसाब को नही समझ पाया क्या गरीबी ,दुःख भरा बुढ़ापा ये आज आम -जन के जीवन में कभी खुशी की बौछार आने देंगी मुझे नही लगता कि ये मजबूर गरीब लोग कभी हॅसते खेलते अपना जीवन यापन कर पायेगे जीवन के हर एक कदम पर इन्हे मुसीबतो का सामना करना होता हे ,और जीवन का आखरी समय बुढ़ापा वो भी रोते हुए ही काटना पड़ता है।
तो क्या भगवान ने उन्हें जीवन भर दुःख में जीने के लिए इस धरती पे भेजा है क्या ,और दुनिया वाले भी इन्हे नही अपनाते इन्हे अपने हाल पे छोड़ दिया जाता है ,बेबस लाचार दुःख भरी जिन्दगी जीने के लिये और ये बेचारे बूढ़े इन्सान दर -दर कि ठोकर खाते रहते है आज इनको कोई सहारा देने वाला नही है।ये केसा हिसाब है इनके साथ ?
आखिर मुस्कान संस्थान ने इनके लिए सोचा और अपनी संस्थान में वृद्धाश्रम को संचालित किया और धुला कटारा जेसे गरीब बेसहारा वृद्ध को सहारा दिया आज ये बुजुर्ग संस्थान में ही रहता है यहाँ ये बहुत ही खुश है इसे यहाँ एक परिवार सा मिल गया है।
आप सभी से भी निवेदन हे कि आप भी इनकी सेवा कर सकते हैं,अगर आप भी अपनी इस संस्थान के साथ जुड़कर इनकी सेवा करना चाते हो तो ये संस्थान आप का स्वागत करती है।
सुधीर
आज तक नही समझ पाया जिन्दगी के इस बे हिसाब को "
आज तक में भी दुनिया के इस हिसाब को नही समझ पाया क्या गरीबी ,दुःख भरा बुढ़ापा ये आज आम -जन के जीवन में कभी खुशी की बौछार आने देंगी मुझे नही लगता कि ये मजबूर गरीब लोग कभी हॅसते खेलते अपना जीवन यापन कर पायेगे जीवन के हर एक कदम पर इन्हे मुसीबतो का सामना करना होता हे ,और जीवन का आखरी समय बुढ़ापा वो भी रोते हुए ही काटना पड़ता है।
तो क्या भगवान ने उन्हें जीवन भर दुःख में जीने के लिए इस धरती पे भेजा है क्या ,और दुनिया वाले भी इन्हे नही अपनाते इन्हे अपने हाल पे छोड़ दिया जाता है ,बेबस लाचार दुःख भरी जिन्दगी जीने के लिये और ये बेचारे बूढ़े इन्सान दर -दर कि ठोकर खाते रहते है आज इनको कोई सहारा देने वाला नही है।ये केसा हिसाब है इनके साथ ?
आखिर मुस्कान संस्थान ने इनके लिए सोचा और अपनी संस्थान में वृद्धाश्रम को संचालित किया और धुला कटारा जेसे गरीब बेसहारा वृद्ध को सहारा दिया आज ये बुजुर्ग संस्थान में ही रहता है यहाँ ये बहुत ही खुश है इसे यहाँ एक परिवार सा मिल गया है।
आप सभी से भी निवेदन हे कि आप भी इनकी सेवा कर सकते हैं,अगर आप भी अपनी इस संस्थान के साथ जुड़कर इनकी सेवा करना चाते हो तो ये संस्थान आप का स्वागत करती है।
सुधीर
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