ये भी है  कुदरत का एक करिश्मा आज़ देश में जहा बेटीयो को पैदा  होने से  पहले ही मार दिया जाता है , कुचल दिया जाता या  उनसे नफरत कि जाती है। ये उसी देश कि बेटी हे जो अपने अंधे पिता का सहारा बनकर उसका हाथ पकड़ कर  ले जाती है उसे चलाती है 
   फिर  हम क्यों बेटी को पाप या अभिशाप मानते है।  बेटी तो वरदान हे। 
       सभी से निवेदन है कि बेटी बचाये देश बचाये समाज बचाये।

जिस घर में है  बेटी उस घर में हे हरियाली। 

       ये तो है  अनमोल रतन ,इसका ना कोई मोल। 
ये नाजुक है  कली ,ये आरजुओं में पली
                 बाप के छाव , माँ के कोख में खीली। 

मुस्कान संस्थान में भी इस अनमोल रतन को सहारा दिया जाता है। 






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