ये अबला बसन्ती भी इस समाज कि सताई हुई वो नारी हे जो सड़क किनारे इस समाज के कुछ हवस के भूखे लोगो ने अपनी हवस का शीकार बना कर छोड़ दिया , और ये बेचारी अबला वही रो -रो कर रह
गई  पर मुस्कान संस्थान ने जब इस अबला नारी  को देका तो उसे अपनाया और इस अबला ने एक बेटी को जन्म दिया।
 बसन्ती आज अपनी नन्ही बेटी को इस कदर रखती है ,जीस कदर
एक माली अपने बाग़ का ध्यान 
 नारी के जीवन में वाके ही दुःख का समंदर ही क्यों न  हो, पर वो अपनी संतान को अपने आँचल में छुपाकर रख लेती 
किसी कवि ने सही लिखा है

नारी तेरी अजब कहानी
                          आँचल में दुध,
                                         ऑखो में पानी।

मुस्कान संस्थान ने  बसंती और उसकी बेटी के जीवन कि जिम्मेदारी ली, आज माँ बेटी एक अच्छा और खुशहाल जीवन जी रहे है ,ये सब आप  जेसे पुण्यात्मा के पुण्य से ही होता है , संस्थान में  बसन्ती जेसी कई अबलायें रहती है। आप भी इनकी सेवा संस्थान के साथ जुड़कर कर सकते हो। ये संस्थान आप कि अपनी है इसमें आप सहयोग प्रदान कर कई अबलाओ का जीवन सुधार सकते है ,इन्हे नया सवेरा  नई रोसनी दे सकते है।



                                                                                                                                      सुधीर जैन


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