प्रकृति का शाश्वत नियम है - लेना , देना और देना जो देता है , वही पाता है एक वृक्ष फूलों का मोह त्याग कर ही दुसरो को फल देने में अपना सौभाग्य मानता है देना या त्याग करना जीवन है और मृत्यु अपनी धनलक्ष्मी को , अपनी सामर्थ्य और योग्यता , अपने ज्ञान और अनुभव को, अपनी करुणा और संवेदना को वहाँ तक पहुँचने , दीजिये जहाँ उनकी जरूरत है
मुस्कान संस्थान आपके सहयोग से इसी कार्य में सलंग्न है आपका मार्गदर्शन सहयोग और दान निःशक्त , निराश्रित , मानसिक विमंदित , अनाथ बच्चों की मुस्कान बन रहा है। मुस्कान संस्थान दिन -रात गरीब व अनाथ बच्चो की सेवा में रहती ,यहाँ इन बेबस पीड़ित लोगों की सेवा हि नही बल्की उनकी रोज मर्रा की मुख्य आवश्यकता को भी पूरा करती है।
आप सभी भी संस्थान से जुड़ कर इन सभी की सेवा का लाभ ले सकते, मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।
नर में नारयण रहता है ,नर की सेवा नारायण की सेवा है।
सुधीर जैन
मुस्कान संस्थान आपके सहयोग से इसी कार्य में सलंग्न है आपका मार्गदर्शन सहयोग और दान निःशक्त , निराश्रित , मानसिक विमंदित , अनाथ बच्चों की मुस्कान बन रहा है। मुस्कान संस्थान दिन -रात गरीब व अनाथ बच्चो की सेवा में रहती ,यहाँ इन बेबस पीड़ित लोगों की सेवा हि नही बल्की उनकी रोज मर्रा की मुख्य आवश्यकता को भी पूरा करती है।
आप सभी भी संस्थान से जुड़ कर इन सभी की सेवा का लाभ ले सकते, मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।
नर में नारयण रहता है ,नर की सेवा नारायण की सेवा है।
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